संसार यह संसार कांच का मंदिर देखो अपना मुख जैसे करनी वैसी भरनी फिर करता क्यों दुख दादी-दादा भूखे मरंेगे अपन मानये सुख जब हमरी बारी आयी उपदेश करत है चुख माता-पिता की सेवा में है सबका कल्याण जब दादा-दादी भूखे मर रहे कहा गया था ज्ञान अपना चेहरा अपनी करनी देखो जग के दर्पण में जैसे किया कथा है तुमने वैसे ही पाओगे अर्पण में वर्षा जिनके दया धर्म जीवन में राम हजूरी जन से पाकर रहो न गाफिल मन में। भ्रम-जाल जीवन की बहती धारा में थक गया मुसाफिर चलते-चलते नहीं दिखाई देती कोई धरा, अपनों की आस सजोये हुए अपनों से ही परास्त हुये जीवन बीता लड़ते-लड़ते जीने की ललक कहां ले आयी किसको छोड़ा किसको पकड़ा, जो अपना था उसको भूल गये भ्रम जाल में कसते चले गये दिन-प्रतिदिन मरते-मरते विश्वास किया दुनिया का सारी उम्र गुजार दिया नैन-मटक्का का लूट लिया जब कुछ न रहा पल्ले में मौजों की बयार चली गयी उनको जाते देख रहे हम हसते-हसते एक बात हमारे जेहन में आयी क्यों ऐसा कर डाला फिर सोचा शायद दुनिया की रीत यही होगी प्रभु की इच्छा यही रही होगी जब अपना सब मिटा डाला बस समय गुजरता यही कहते कहते पंख तोड़े उनके कहने पर तब तूफान की न आहट थी बेरहम जराधिन्धू आया देख मची आपा-धापी कुछ छोड़ चले, कुछ मुंह मोड़ चले, हम देख डबडबाई आंखों से उनको जाते-जाते। जीवन का संदेश मुझे देख के हसने वालो मैं संदेश सुनाती हूं दो भिक्षा दान दो मैं बात पते की बताती हूं मैंने नहीं दिया किसी को इसीलिए मैं शर्माती हूं मुझसे यह शिक्षा ले लो भिक्षा की बात बताती हूं मुझे देख के हंसने वालों मैं संदेश सुनाती हूं अंधे लूले लंगड़ो को दो वह सो मत उनकी पल कहती हो पूर्व में ऐसे करम किये अब …… घिसट-घिसट कर दिन पूरे करके अफसोस की बात बताती हूं मुझे देख के हंसने वालों मैं संदेश सुनाती हूं बेजुबान पशु पक्षी की यही जुबानी है सब जीवों में रक्तमास सबमें रहता रहमानी है मत कर हिंसा, सद्ग्रंथों की बात बताती हूं मुझे देख के हंसने वालों मैं संदेश सुनाती हूं मैंने जैसा कर्म किया वैसा ही पाया फल देर-सबेर सभी को मिलता आज नहीं तो निश्चय कल जो सबक मिला मुझे उसी का मर्म बताती हूं मुझे देख के हंसने वालों मैं संदेश सुनाती हूं। परिचय वर्षा गुप्ता ‘‘संप्रभा’’ पता – सुदामापुरी, जेल रोड, साहब तालाब के पास, बाँदा (उ0 प्र0) – 210001 ईमेल – कतअंतेीं1993/हउंपसण्बवउ आपको मारिया मोंटेडुरो (इटली) की याद में प्रेसीडेंसी के ‘इन्टरनेशनल प्राइज डी प्रेबिबस टेरै – चतुर्थ संस्करण’ इटली से सम्मानित किया गया है व ‘द इंस्टीट्यूट ऑव द यूरोपियन रोमा स्टडीज एंड रिसर्च इन टू क्राइम्स अगंेस्ट ह्यूमिनिटि एंड इंटरनेशन लॉ – बेलग्रेड (सर्बिया गणराज्य) से डॉक्टर ऑव लिटरेचर एण्ड ह्यूमन राइटस व ब्राजील के संस्थान ‘ब्राजील इंटरनेशनल कांउसिल कोनिपा एंड इटमुट इंस्टीट्यूट से ह्यूमिनिटि में पी. एच. डी. की मानद उपाधि प्राप्त कर चुकी हैं व फिलीस्तीन की संस्था द पैलेस्टाइन सेंटर ऑव इंटरनेशनल पेन, पैलस्टाइन से डॉ0 हनन अवड पीस अवार्ड – 2019 से साथ ही साथ सम्मानित हुई हैं। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन 2019 में केन्द्रीय विधि मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद जी द्वारा साहित्य सेवा के लिए ‘‘शताब्दी सम्मान’’ व जून 2018 में मथुरा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में ‘‘काव्य सुमन’’ से पुरुस्कृत हैं। आपके दो हिन्दी काव्य संग्रह ‘‘प्रथम-अनंत-अदिति (अभिव्यक्ति मेरे अहसासों की)’’ व ‘‘वर्षा का काव्यपथ’’ प्रकाशित हो चुके हैं। आप अभी तक कई पुस्तकांे का संपादन भी कर चुकी हैं व लगातार संपादन कर रही है। आप अपनी कविताओं को अपनी डायरी में नियमित रूप से लिखती रहती हैं और एक आदर्श गृहणी का दायित्व पूरा कर रही हैं। आप लगातार कई काव्य समारोहों में प्रतिभाग कर चुकी हैं व पुरस्कार प्राप्त कर रही हैं।
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